वाद विवाद से बचकर रहे विवाद विनाश की जड़ है कई झगड़े ना समझी से हो जाता है सामने वाली कि पूरी बात बिना समझे उत्तर मत दे किन बिंदु को लेकर विवाद है उसका अध्यनायन करे कुछ संतोष करने से कुछ बात को सहन करने से कुछ बात को अनसुना करने से अगर विवाद ख़त्म हो जाये तो समझ लो आप पर परभु की बहुत कृपा है मैं अपनी कहानी बताता हूँ मैं जहां पहले नौकरी करता था उस फ़र्म में तीन लोग थे दो लोग मेरे सीनियर लोग जो मुझे बहुत सताते थे हर छोटी बात पर सेठ से शिकायत करे और मुझे डाँट खिलाए मैं संतोष करके सुन के चुप रहकर अपना काम करता रहता था एक दिन रात को वह दोनों लोग सेठ के पास गये और बोले आप या तो उन्हें नौकरी पर रखे या मुझे आज फ़ैसला करो सेठ ने मुझे निकाल दिया और यह कहकर निकला कि यह लोग आपसे पुराने है आप ही निकल जाये रात को नौ बजे मैं अपना सामान लेकर निकल गया और रात भर फूटपाथ पर सोया सुबह उठकर काम की तलाश में लग गया एक ठेला लेकर अपना धंधा शुरू कर दिया 300 rupaya की पूँजी से काम शुरू किया था आज आपके सामने आपका आदमी है आपका नौकर जनता का नौकर भगवान का नौकर की तरक्की है जो लोग मुझे निकलवाये थे वह लोग आज भी पच्चीस हज़ार की नौकरी करते है और भगवान की कृपा से आज मेरी फ़र्म में 500 log मेरे साथी सेवा दे रहे भगवान पर भरोसा और संतोष रखो सब कुछ मिलेगा इसलिए संतोष रखो विवाद से बचो
साभार -बसन्त चौथरी