बस्ती
पंजीकरण में घटा दी गई बेड की संख्या, कुछ जगहों पर पर्याप्त चिकित्सक भी नहीं
बस्ती। शहर एवं आसपास के क्षेत्रों में जेके हॉस्पिटल की तरह और भी अस्पताल हैं। जानकारों का कहना है कि सही से जांच हो तो कई नामी निजी अस्पतालों का पंजीकरण /नवीनीकरण लटक जाएगा। इनके पास भी तैयार प्रपत्रों से उलट व्यवस्था है।
कागज में 20 से 25 बेड की क्षमता वाले इन अस्पतालों में दोगुना-तीन गुना मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। ओपीडी भी सौ से अधिक मरीजों की है। जिस हिसाब से मरीज है, उस हिसाब से चिकित्सक एवं पैरामेडिकल स्टॉफ नियुक्त नहीं हैं। बहुमंजिला इमारतों में संचालित से अस्पताल एक ही चिकित्सक के भरोसे हैं।
जेके हॉस्पिटल में भर्ती मासूम की मौत का मामला हाई प्रोफाइल होते ही आंतरिक अव्यवस्था की कलई खुलने लगी। विभागीय टीम की जांच में इस अस्पताल के पंजीकरण की प्रक्रिया पर ही प्रश्नचिह्न लग गया।
यू बनी बगी के का या टर ध
जांच कर रहे डिप्टी सीएमओ निजी अस्पतालों के नोडल अफसर डॉ. एसबी सिंह ने खुद बताया कि 20 बेड के पंजीकृत इस अस्पताल में दोगुना से अधिक मरीजों को भर्ती करने की व्यवस्था पाई गई है। सौ से - अधिक मरीजों की ओपीडी संचालित होने की पुष्टि हुई है। इसके अलावा मानव संपदा की कमी मिली है।
तीन एमबीबीएस चिकित्सक की जगह केवल एक चिकित्सक तैनात पाए गए हैं। मरीजों की संख्या के मुताबिक कम से कम तीन स्टॉफ नर्स (जेएनएम) की भी जरूरत महसूस की गई है। आपातकालीन द्वार भी नहीं मिले। जांच में यह सब
इन अस्पतालों पर हो चुकी है कार्रवाई
शहर के कटरा पतेलवा स्थित फातिमा हॉस्पिटल में पिछले साल एक प्रसूता की मौत के बाद अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया था। बाद में क्लीन चिट मिल गई। इस बार भी नवीनीकरण के लिए आवेदन किया गया है। वहीं, नगर बाजार क्षेत्र के खुटहन में एक डेंटल क्लीनिक संचालित पाई गई। बिना डॉक्टर की डिग्री के ही यहां एक व्यक्ति दांत का इलाज कर रहा था। कुछ दिन अस्पताल सील रखने के बाद इसे क्लीन चिट दे दी गई। हरदिया चौराहे के पास संचालित केयर मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल में एक महिला का ड्रेसिंग करते वीडियो वायरल होने के बाद जांच हुई तो कई कमियां पाई गईं। अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया। बाद में संबंधित अस्पताल को भी क्लीन चिट मिल गई। इस अस्पताल का भी नवीनीकरण प्रक्रियाधीन है।
पंजीकरण सौ बेड का चिकित्सक एक या दो
जिले में सौ बेड के पांच अस्पताल पंजीकृत हैं। मगर, यहां भी चिकित्सक एवं पैरामेडिकल स्टॉफ की कमी है। केवल एमबीबीएस एवं परामर्शदाता ही मौजूद मिल रहे हैं। जबकि, इन अस्पतालों में ऑपरेश से प्रसव कराने से लेकर हार्ट एवं सर्जरी से संबंधित मरीज बड़ी संख्या में भर्ती किए जा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि ऐसे मरीजों का इलाज विषय विशेषज्ञों से वर्चुअल परामर्श लेकर दूसरे लोग कर रहे हैं।
खुलासा होने के बाद संबंधित अस्पताल के नवीनीकरण पर संकट आ गया है। आवेदन में पंजीयन के हिसाब से ही इस बार भी बेड और चिकित्सक की संख्या से संबंधित प्रपत्र लगाए गए हैं।
विभागीय जांच में इतना तो स्पष्ट हो गया कि नवीनीकरण के आवेदन में विभाग से तमाम तथ्य छिपाकर रखे गए। जानकार बता रहे हैं इसी पैटर्न पर अन्य कई अस्पताल संचालित किए जा रहे हैं। तीन से चार मंजिला के भवन में 50 से अधिक शैय्या वाले निजी अस्पताल कागज में 20 से 25 बेड के दर्शाए गए हैं। इन अस्पतालों की पहचान किसी एक मशहूर चिकित्सक के नाम से हो रही है।
बिना पंजीकरण के भी चल रहे अस्पताल
आवेदन करने वाले कुछ अस्पताल अभी सफलता हासिल करने की फिराक में है। जानकारों के अनुसार, सत्यापन के दौरान विभागीय जिम्मेदार भी अस्पताल की क्षमता के हिसाब से चिकित्सक एवं पैरामेडिकल स्टॉफ, आपातकालीन द्वार जैसे जरूरी मुद्दों की अनदेखी कर रहे हैं। सत्यापन प्रक्रिया में सिर्फ प्रपत्रों के वैधता की जांच की जा
शहर के बीचोबीच क्षेत्र में बिना पंजीकरण के भी अस्पताल एवं जांच सेंटर संचालित हो रहे हैं। बताया जाता है कि कटेश्वर पार्क के पीछे एक निजी अस्पताल का नाम बदलकर चलाया जा रहा है। पहले दूसरे नाम से यह अस्पताल चल रहा था। खबर है कि एक महिला की मौत के बाद नाम बदल दिया गया है। इसी तरह महिला अस्पताल के सामने गली भी बिना पंजीकरण के जांच सेंटर और निजी अस्पतालों की भरमार है।
अकुशल एवं अयोग्य लोग पैरामेडिकल स्टॉफ की ड्यूटी कर रहे हैं। विभागीय सूत्र बता रहे हैं कि इस बार जिन 85 अस्पतालों के पंजीकरण/नवीनीकरण की प्रक्रिया पूर्ण की गई है उसमें भी इस तरह के दर्जन भर से अधिक अस्पताल शामिल हैं।
इस बार
पंजीकरण/नवीनीकरण के लिए 315 आवेदन किए गए हैं। ऑनलाइन एवं भौतिक सत्यापन के बाद ही निजी अस्पताल एवं पैथोलॉजी मिलाकर 85 को लाइसेंस निर्गत किया गया है। नोडल अफसर को तथ्यों की छानबीन के लिए निर्देशित किया गया है। डॉ. राजीव निगम, सीएमओ।
परामर्शदाता के भी अस्पताल में सर्जरी के केस
एमबीबीएस, यूनानी एवं आयुर्वेदिक चिकित्सक की डिग्री पर पंजीकृत अस्पताल में केवल मरीजों को परामर्श एवं दवा देने की अनुमति होती है। लेकिन, इन अस्पतालों में भी आर्थो, गायनी, पथरी आदि सर्जरी के केस संभाले जा रहे हैं। शहर के एक दर्जन परामर्शदाताओं के अस्पताल में सर्जरी से संबंधित मरीजों को भर्ती करने की व्यवस्था है।
रही है। जबकि आवेदन में संलग्न प्रपत्रों का अस्पताल में उपलब्ध व्यवस्था से मिलान भी हो तो जेके हॉस्पिटल की तरह अन्य जगहों पर भी कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आएंगे।
भाड़े पर बुलाए जा रहे एनेस्थेसियोलॉजिस्ट और सर्जन
: परामर्शदाता की डिग्री पर पंजीकृत अस्पतालों में सर्जरी से संबंधित मरीज पहुंचने पर भाड़े पर सर्जन और एनेस्थेसियोलॉजिस्ट बुलाए जा रहे हैं। यह चिकित्सक सर्जरी के साथ दवा लिखकर चले जाते हैं। इसके बाद मरीजों की देखरेख का जिम्मा अस्पताल संचालक के पास होता हैं ।