सयुक्त परिवार की मिसाल है इंद्रप्रस्थ' में
खिलखिलाती हैं 31 सदस्यों की साझा खुशियां
बस्ती
आधुनिकता के दौड़ में एकाकी परिवार तेजी से फेल रहे है,सभी लोग स्वतन्त्र रहना चाहते हैं, बताते चले कि पहले के दौड़ में बच्चे गाँव का कोई भी सदस्य देखने को मिल जायें, तो वह अनुशासित हो जाते जबकि आज अधिकाशं बच्चे अपने परिवार के सामने गैर अनुशासित
जीवन व्यतीत कर रहें है, इसका सयुक्त परिवार का टूटना, क्योकि सयुक्त परिवार ही अनुशासन का नीवं हैं । सयुक्त परिवार सो में एक परिवार को देखने को मिल रहा हैं
बस्ती, विकास खंड सल्टौआ क्षेत्र स्थित मुनियांव की कलावती पांडेय की देखरेख में 31 सदस्यों वाला परिवार संयुक्त रूप प्यार, परंपरा और भाईचारे की मिसाल है। कोई भी काम हो, उसमें कलावती पांडेय की राय और आशीर्वाद जरूरी होती है। इस परिवार के संयुक्त रहने की परंपरा 250 वर्ष पुरानी है। अब परिवार ने 'इंद्रप्रस्थ' भवन बनाया है, जहां पर 31 सदस्यों की साझा खुशियां खिलखिलाती रहती हैं।
माता कलावती की राय से चल रहा संयुक्त परिवार
250 वर्ष से संयुक्त परिवार की परंपरा निमा रहा मुनियांव का पांडेय परिवार
मुनियांव पांडेय परिवार के ओमनरायन पांडेय बताते हैं कि संयुक्त परिवार की परंपरा रही है। बाबा स्व. शंकर प्रसाद पांडेय के पहले से परिवार संयुक्त की रवायत रही है। पिता स्व. उग्रसेन पांडेय भी वकील रहे। उनके सात बेटे और एक बेटी हुई। पिता के निधन बाद घर की कमान माता कलावती पांडेय के हाथ में है। परिवार के सभी लोग मां की राय और आशीर्वाद से अपना काम कर रहे हैं।
शिक्षा हमारे परिवार का सबसे बड़ा शस्त्र रहा। उनको आठ संतानों में विनोद पांडेय, अशोक पांडेय, स्व. श्रीकृष्ण पांडेय, कुमारी राजलक्ष्मी, ओमनारायण पांडेय, श्रीभगवान
विकास खंड सल्टीआ के मुनियांवा में अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ कलावती पांडेय। हिन्दुस्तान
पांडेय, कृष्ण गोपाल पांडेय और पुरुषोत्तम पांडेय हैं। सात भाइयों में पांच बीई, एक अधिवक्ता, एक स्नातकोत्तर की शिक्षा ली। बहन ने बीएड और एमए किया।
परिवार की अगली पौड़ी में पांच अमेरिका में बसे हैं। एक एमबीबीएस कर रही हैं। कुछ बच्चे मुंबई में व्यापार संभाल रहे हैं। छोटे बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। परिवार का कारोबार मुंबई,
दिल्ली, लखनऊ, गोरखपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर सहित कई जिलों में है। कांस्ट्रक्शन, पेट्रोल-पंप, डीलरशिप, कंसल्टेंसी, बिल्डर का कारोबार है। सब में सभी की राय और सहमति रहती है। हाल में परिवार ने देश-विदेश को छोड़ गांव को चुना और गांव में 'इंद्रप्रस्थ' भवन बनाया। मुखिया कलावतो पांडेय का मानना है कि यह सब माता गायत्री का आशीर्वाद है। पीढ़ियों से परिवार सात्विक रहा है। मांस, मदिरा आदि व्यसनों से दूर रहने की शिक्षा बच्चों को दी। यही कारण रहा कि परिवार में विघटन कभी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि शहरीकरण का दौर भी समाप्त होगा और फिर से सबको गांव की और लौटना होगा। अगले कुछ वर्षों में संयुक्त परिवार और गांव की महत्ता फिर से अपने चरम पर होगी।