सत्यापन न जांच... कागजात पूरे तो नहीं आएगी कोई आंच
कागजी कोरम के आधार पर किया जा रहा पंजीकरण/नवीनीकरण, पोर्टल चलते ही शुरू हुआ खेल
बस्ती। निजी अस्पतालों के पंजीकरण/नवीनीकरण के लिए विभागीय पोर्टल शुरू हो गया है। शुरुआत में प्रतिष्ठित चिकित्सकों के अस्पताल का नवीनीकरण किया जा रहा है। दो दिन में इस तरह के छह अस्पतालों का नवीनीकरण किया जा चुका है।
इसमें से एक भी अस्पताल का भौतिक सत्यापन नहीं हुआ है। यही वजह है कि विभाग की तरफ से किसी भी अस्पताल के आवेदन किन्हीं कमी के चलते निरस्त नहीं किए गए हैं। सूत्रों के अनुसार सेटिंग बनने के बाद विभाग के ही कुछ शातिर लोग प्रपत्रों की कमी पूरी करा दा रहे हैं, ताकि पोर्टल पर ऑनलाइन फीडिंग में कोई गड़बड़ी न होने पाए।
जिले भर में महज 50 निजी अस्पताल ही ऐसे हैं जो मानक के अनुरूप संचालित होते पाए जा सकते हैं। इन अस्पतालों का संचालन खुद प्रतिष्ठित चिकित्सक ही करते है। इसके अलावा जुगाड़ से संचालित किए जा रहे अस्पतालों की लंबी फेहरिस्त है।
बिना जांच और सत्यापन के ही यह अस्पताल भी पंजीकरण/नवीनीकरण की बहती गंगा में हाथ धोने को तैयार हैं। अधोमानक अस्पतालों के पंजीकरण / नवीनीकरण के लिए मरीज माफियाओं ने महकमे में तगड़ी सेटिंग बना ली है। चर्चा हैं कि अगर उच्चाधिकारियों ने संज्ञान नहीं लिया तो ऑनलाइन पंजीकरण नवीनीकरण की बहार में पांच साल के लिए इनका भी बेड़ा पार हो जाएगा।
क्योंकि जुगाड़ से चलने वाले अधिकतर अस्पताल मरीज माफियाओं के संरक्षण में है। इनके पास न तो स्थाई चिकित्सक हैं और न ही पंजीकरण के अनुरूप मरीजों के लिए इलाज की व्यवस्था है। पंजीकरण के लिए ऑनलाइन पोर्टल लांच करके शासन ने एक चिकित्सक की डिग्री एक से
कार्यालय मुख्य चिकित्सा अधिकारी, वस्ती
सीएमओ कार्यालय बस्ती। संवाद
पकड़ में नहीं आ रहे बिना डॉक्टर के संचालित होने वाले अस्पताल
ट्रस्ट की आड़ में सरकारी डॉक्टर भसंचालित कर रहे निजी अस्पताल
11
मई को प्रकाशित खबर।
अधिकांश निजी अस्पतालों में पारदर्शी व्यवस्था नहीं
बस्ती। जिले के अधिकांश निजी अस्पतालों में पारदर्शी व्यवस्था नहीं है। पंजीकरण के अनुसार सूचना पट्ट पर संबंधित चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ के नाम तक अंकित नहीं है।
जिन निजी अस्पतालों में सर्जरी की व्यवस्था संचालित है, वहां भी संबंधित सर्जन, बेहोशी के डॉक्टर का अता-पता नहीं है। इसके अलावा पार्किंग, परिसर, मानक के अनुसार मरीजों के लिए वार्ड की नहीं हैं।
स्थलीय सत्यापन में यह सब तथ्य उजागर हो सकते हैं। लेकिन, मरीज माफियाओं के तिकड़म से इस पर पर्दा पड़ा हुआ है। जिम्मेदार भी चुप्पी साधकर गाइडलाइन के अनुसार सिर्फ प्रपत्रों का मिलान करने में जुटे हैं।
पंजीकरण में दर्ज कराए गए डॉक्टर नहीं देते सेवा
शहर एवं कस्बों में ऐसे भी निजी अस्पताल हैं, जिनके पंजीकरण में उल्लिखित डॉक्टरों की मौजूदगी मौके पर नहीं रहती है। उनकी जगह दूसरे
चिकित्सक मरीजों का इलाज करते हैं। सरकारी चिकित्सकों एवं फार्मासिस्टों का निजी अस्पताल इसी जुगाड़ से चल रहा है। पंजीकरण /नवीनीकरण के दौरान महकमा ऐसे अस्पतालों का भी पर्दाफाश नहीं कर पा रहा है। कुछ ऐसे भी अस्पताल है, जिनका पंजीकरण / नवीनीकरण के कागजी कोरम पूरा हो चुका है लेकिन, वह किराये के दो चार कमरों में संचालित हो रहे हैं। निजी अस्पतालों में कभी वार्ड ब्वाय और आया का काम करने वाले लोग भी अपना निजी अस्पताल खोलकर आवेदन की प्रक्रिया पूर्ण करके पंजीकरण / नवीनीकरण के इंतजार में है।
ऑनलाइन पंजीकरण / नवीनीकरण के लिए विभागीय पोर्टल चलने लगा है। छह अस्पतालों के नवीनीकरण की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। जिस अस्पताल में कमी महसूस की जाएगी उसका स्थलीय सत्यापन किया जाएगा। अभी केवल प्रतिष्ठित अस्पतालों की ही प्रक्रिया पूरी कराई जा रही है।
डॉ. एसबी सिंह, नोडल अधिकारी, निजी अस्पताल / डिप्टी सीएमओ।
29 नए अस्पतालों के आवेदन हैं शामिल
के लिए इस बार कुल 275 ऑनलाइन आवेदन प्राप्त हुए हैं। इसमें 29 नए अस्पतालों के आवेदन शामिल हैं। इसमें 270 आवेदन 50 बेड तक के अस्पतालों का है, जबकि पांच अस्पताल सौ बेड के शामिल हैं। 50 बेड तक के अस्पतालों के सत्यापन के लिए डिप्टी सीएमओ डॉ. एसबी सिंह के नेतृत्व में टीम गठित है। जबकि सौ बेड वाले अस्पतालों के लिए डीएम स्तर से टीम गठित हुई है। विभागीय टीम सत्यापन में अभी सिर्फ प्रपत्रों की ही जांच कर रही है।
अधिक जगह इस्तेमाल न होने की व्यवस्था बनाई तो शातिरों ने इसकी भी काट खोज ली है। यूनानी चिकित्सक एवं अन्य डॉक्टर की समकक्ष डिग्री
निजी अस्पतालों के
पंजीकरण / नवीनीकरण
लगाकर आवेदन का कोरम पूरा कर दिया गया है।
जानकार बताते हैं कि अधिकांश निजी अस्पतालों की ओर से आवेदन में
दी गई चिकित्सक की डिग्री के अनुसार केवल परामर्श केंद्र खोलने तक की अनुमति मिल सकती है। लेकिन, इसकी आड़ में प्रसव, आर्थों और अन्य सर्जरी की व्यवस्था पहले की तरह संचालित किए जाने की तैयारी है।
ऐसे मरीजों का ऑपरेशन भाड़े के चिकित्सकों से कराया जाता है। सूत्रों के अनुसार महकमे में जिनकी सेटिंग है, उनका कोई स्थलीय सत्यापन नहीं किया जा रहा है। सिर्फ प्रपत्रों को जांच कर कोरम पूरा कर लिया जा रहा