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जनपद बस्ती के विकास खण्ड दुबौलिया में मनरेगा पोर्टल पर पुरानी फोटो अपलोड कर ग्राम पंचायतों के प्रधान विकास के नाम पर कर रहे भ्रष्टाचार ।
ग्राम पंचायत दुबौलिया प्रधान अनिल सिंह और ग्राम पंचायत धर्मूपुर प्रधान दीलीप यादव उच्च अधिकारियों के मिली भगत से विकास कार्य के नाम पर मनरेगा में मार रहे है बाजी।
लूट जारी रहा तो ग्राम पंचायत को कैसे होगा विकास ।
गांव के तालाब में मनरेगा मजदूरों की फर्जी हाजिरी लगाकर कार्य करने के नाम पर भ्रष्टाचार कर रहे ग्राम प्रधान दीलीप यादव और ग्राम प्रधान अनिल सिंह
मीडिया कवरेज दौरान तालाब पर एक भी मनरेगा मजदूर काम करते नहीं मिले ।
ग्राम प्रधान अनिल सिंह और ग्राम प्रधान दीलीप यादव द्वारा मनरेगा मजदूरो का आनलाइन फर्जी मास्टर रोल जारी कर रखा है ।
और कार्य दिखाई होता दिखे इसके लिए ग्राम प्रधान द्वारा पुरानी फोटो अपलोड कर दिया गया है ।
मीडिया कवरेज दौरान ग्रामीणो द्वारा बताया गया कि तालाब में कोई कार्य नहीं हो रहा है प्रधान अनिल सिंह द्वारा इसके पहले भी तालाब का फर्जी कार्य कराया जा रहा था जिसमें उच्च अधिकारियों द्वारा मास्टर रोल जीरो कर दिया गया था । प्रधान अनिल सिंह अपने पद का दुरुपयोग कर फिर से तालाब कार्य के नाम पर मनरेगा भ्रष्टाचार कर रहे हैं। ग्राम पंचायत दुबौलिया में आदर्श सरोवर का निर्माण कार्य, राधेश्याम के खेत के बगल तालाब खुदाई कार्य, ग्राम पंचायत धर्मूपुर में रामजीत के चक के सामने पोखरा खुदाई और सफाई कार्य के नाम पर प्रधान द्वारा मनरेगा मजदूरों का फर्जी हाजिरी लगाकर किया जा रहा भ्रष्टाचार ।
मीडिया कवरेज दौरान धरातल पर काम करते नहीं मिले मनरेगा मजदूर
ग्राम पंचायत दुबौलिया में
आनलाइन मास्टर रोल में 136 मजदूर , ग्राम पंचायत धर्मूपुर में 70 मजदूरों का अटेंडेंस दिखाकर किया जा रहा मनरेगा भ्रष्टाचार ।
जनपद बस्ती में मनरेगा भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है।
आए दिन मनरेगा भ्रष्टाचार की खबरें समाचार पत्रों की सुर्खियां बन रही हैं।
साहब लोगों को केवल अपने हिस्से की मलाई से मतलब है।
जिम्मेदारों की तरफ से प्रधानों को भ्रष्टाचार करने की हरी झंडी जब से मिली हुई है तब से जमकर झूमकर ग्राम प्रधान कर रहे मनरेगा भ्रष्टाचार । भ्रष्टाचार में कार्यवाही न करने की उच्च अधिकारियों ने कसम खाया हो, ऐसा प्रतीत होता है।
मनरेगा योजना गरीबों के रोजगार के लिए बनाई गई है, लेकिन जनपद में यह योजना जिम्मेदारों के ऐशो-आराम की योजना बनकर रह गई है। पूरे जनपद में मनरेगा योजना सिर्फ भ्रष्टाचार कर लूट मचाने के लिए बनी हुई है।
मनरेगा मजदूरों की उपस्थिति केवल कागजों में दर्ज हो रही है, जबकि धरातल पर मजदूर काम करते ही नहीं हैं।
मीडियाकर्मियों को जब ग्राम पंचायत दुबौलिया और ग्राम पंचायत धर्मूपुर में मनरेगा भ्रष्टाचार की जानकारी मिली, तो वे ग्राम पंचायतों में कार्य की साइड पर पहुंचे। तो देखने पर पता चला पोखरा खुदाई व सफाई कार्य में एक भी मजदूर काम नहीं कर रहे हैं । जबकि उसी साइड पर मजदूरों की कागज में फर्जी हाजिरी दिखाया जा रहा है। प्रधान, रोजगार सेवक व सचिव मिलकर मनरेगा के धन का बंदरबांट करने की तैयारी में हैं, जबकि अभी तक संदर्भित साइड पर कोई कार्य नहीं हुआ है। इससे साफ स्पष्ट होता है कि जिम्मेदारों की प्राथमिकता भ्रष्टाचार है, न कि गरीबों के हित में मनरेगा योजना को चलाना।
अधिकारी को अपने उच्च अधिकारियों का कोई डर नहीं है। अगर डर और खौफ होता तो ग्राम प्रधानो से यह न कहते कि प्रधानजी चाहे जितना फर्जी हाजिरी लगाओ हम उच्च अधिकारियों को देख लेंगे, डरने की कोई बात नहीं , हम आप लोगों के साथ हैं । बस मेरा ख्याल रखना मत भूलिए । प्रधानों को अधिकारियो की तरफ से भ्रष्टाचार करने की हरी झंडी मिली हुई है । वैसे भी जब तक फर्जी हाजिरी नहीं लगेगी तब अधिकारियों का का पेट नहीं भरेगा।
अक्सर मीडिया द्वारा ग्राउंड जीरो पर कवरेज किया जाता है तो जनपद के विकास खण्डों में फर्जी हाजिरी का मामला सामने आता रहता है।