मुंडेरवा चीनी मिल घोटाले में प्रधान प्रबंधक बर्खास्त
बस्ती। बस्ती की मीडिया एक बार फिर उन लोगों को यह बताना चाहती है, *जो लोग यह कहते रहते हैं, कि मीडिया के लिखने से कुछ नहीं होता।*
*मीडिया की ही देन रही जो धान घोटाले को लेकर इतनी बड़ी कार्रवाई हुई, अब मुंडेरवा चीनी मिल में हुए करोड़ों के घोटाले को लेकर भी बड़ी कार्रवाई हुई, और* इराका काफी हद तक श्रेय बस्ती की मीडिया को इस लिए जाता है, क्यों कि वह घोटाले की खबर को लेकर तीन साल से लिखतो आ रहो है। प्रधान प्रबंधक एसके मेहरा को बर्खास्त कर दिया गया, सामान्य प्रबंधक मुंडेरवा चीनी कुलदीप द्विवेदी को गन्ना आयुक्त के यहां अटैच कर दिया गया। रिटायर जीएम मुंडेरवा विजेंद्र द्विवेदी का पेशन को रोक दिया गया। सीए रवि प्रभाकर फरार हो गए उन्हें आरोप पत्र थमागा गया। वर्तमान एकाउंटेंट रुपेश मल्ल एवं वर्तमान जीएम महेंद्र कुमार श्रीवास्तव के खिलाफ भी कार्रवाई प्रस्तावित है। इन सभी ने मिलकर जिले में गन्ना विकास करने के नाम पर लगभग 13 करोड़ का घोटाला किया। यह घोटाला इन लोगों ने गन्ना का विकास करने वाली कानपुर की एजेंसी लेनिगं सिक्यूरिटी के साथ मिलकर किया। करना था 160 गांव के गन्ने का विकास और बिना अनुमति के कागजों में कर दिय 430 गांव का विकास। उन गांवों को भी विकास में जोड़ लिया, जहां पर किसानों ने विकान किया। बस्ती की मीडिया पिछले
तीन सालों से निरंतर खबरों के जरिए सरकार को जानकारी दे रही थी, कि घोटाला हो रहा है। यह वह चीनी मिल हैं, जिसे योगीजी ने पुनः चलाकर मुंडेरवा के किसानों को तोहफा दिय था। मिल चलाने का श्रेय लेने के लिए जिले के नेताओं में होड़ लगी हुई थी लेकिन जब धोटाला हुआ तो एक भी भाजपाई ने आवाज इस लिए नहीं उठाया कि क्यों कि लगभग सभी नेताओं के आदमी मिल में काम कर रहे है। इतनी बड़ो कार्रवाई कभी न होती अगर दिवानचंद्र पटेल प्रदेश सचिव भाकियू एवं मुंडेरवा सहकारी गन्ना समिति के पूर्व चेयरमैन, तीन बार सीएम से न मिले होते। तब जाकर दो बार जांच हुई, और एसके मेहरा जैसे लोग बर्खास्त हुए जिसकी पूरे विभाग में तूती बोलती थी। किसानों के लिए असली लड़ाई तो दिवानचंद्र पटेल ने ही लड़ी, लेकिन भाजपा की डर्टी राजनीति ने उन्हें दूसरी बार चेयरमैन बनने नहीं दिया। इन्होंने एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड करने धन की रिकवरी करने और एफआईआर दर्ज कराने की मांग
की है। जिसे भाजपा ने चेयरमैन बनाया उसकी गतिविधियां अभी तक किसानों को नजर नहीं आ रही। किसान हित में अवाज तक उठाने की आवाज नहीं सुनाई दी।
बता दें कि 2021-23 के बीच में जिले के 150 गांवों में गन्ना का विकारा करने के लिए सरकार ने कानपुर के लेनिगं सिक्यूरिटी एजेंसी को 15 करोड़ का ठेका दिया। जिसमें 12 करोड़ का भुगतान गुंडेरवा चीनी मिल के जीएम और सीए ने मिलकर कर दिया, गन्ना आयुक्त के रोक के बावजूद बखरा के लिए भुगतान कर दिया। गन्ना आयुक्त ने 3.12 करोड़ के भुगतान पर रोक लगा दिया। यह रोक बस्ती के तत्कालीन डीएम पीएन सिंह ने गन्ना आयुक्त के रुप में लगागा। दिवानचंद्र पटेल की ओर से निरंतर शिकायतें हुई, लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही है, कार्रवाई न होने के पीछे प्रधान प्रबंधक एसके मेहरा के प्रभाव को कारण बताया गया, क्यों कि अगर जांच हो जाती तो सबसे पहले एसके मेहरा पर गाज गिरती, और सबसे
-क्स्ती के मीडिया को तीन साल की लड़ाई की मिली एक और बड़ी कामयाबी
- गन्ना विकास घोटाले में हुई बड़ी कार्रवाई, प्रधान प्रबंधक बर्खास्त, जीएम मुंडेरवा का पेशन रुका, वर्तमान जीएम के खिलाफ कार्रवाई, मुंडेरवा के सीए का थमाया आरोप पत्र, वीआरएस लेकर फरार, वर्तमान एकाउंटेट पर भी हुई कार्रवाई
- गन्ना विकास के नाम पर 12 करोड़ का हुआ घोटाला, गन्ना का विकास हुआ नहीं और हो गया कानपुर के लेनिग सिक्यूरिटी एजेंसी को करोड़ों का भुगतान
-करना था 160 गांव के बन्ने की खेती का विकास कागजों में कर दिया 430 गांव का विकास
-जांच के लिए दिवानचंद्र पटेल प्रदेश सचिव माकियू एवं मुंडेरवा सहकारी गन्ना समिति के पूर्व चेयरमैन तीन बार सीएम से मिले तब जाकर दो बार जांच और कार्रवाई हुई
-इन्होंने एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड करने धन की रिकवरी करने और एफआईआर दर्ज कराने की मांग की
पहले उन्हीं पर ही गाज गिरी सरकार ने उनों बर्खास्त कर दिया। यह बर्खास्गी तब हुई जब दिवान चंद्र पटेल तीन बार योगीजी से व्यक्तिगत मिले। वरना कार्रवाई होना मुस्किल था। दूसरी बड़ी कार्रवाई मुंडेरवा चीनी मिल के पूर्व एवं रिटायर जीएम विजेंद्र द्विवेदी के खिलाफ हुई। इन्हें आरोप पत्र थमाया गया है। इनका पेंशन रोक दिया गया है। वर्तमान जीएम महेंद्र कुमार श्रीवास्तव के खिलाफ इस लिए कार्रवाई प्रस्तावित है, क्यों कि इन्होंने गन्ना आयुक्त के रोक लगाने के बावजूद एजेंसी को बखरा लेकर भुगतान कर दिया। तत्कालीन सीए रवि प्रभाकर जिनपर मीडिया पर बार-बार फजी भुगतान करने
का आरोप लगा रही थी। बताते हैं, कि जब से इन्हें आरोप पत्र मिला तब से यह फरार है। वीआरएस भी ले रखा। वर्तमान एकाउंटेट रुपेश मल्ल पर इस लिए कार्रवाई हो रही है, क्यों कि इन्होंने रोक के बावजूद दो बार एजेंस को जीएम के साथ मिलकर भुगतान किया। बखरा के चलते एजेंसी को चीनी बेचकर भुगतान किया गया। जिस तरह 270 गांव में फर्जी गन्ना का विकास दिखाकर करोड़ों का भुगतान किया गया, उससे पता चलता है, कि मिल के जिम्मेदारों ने मिल को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ा इसी लिए एफआईआर दर्ज कराने की आवाज उठ रही है।