अपने जीवन में सुख चाहते हो तो दूसरे को सुखी देखने की आदत डाले प्रतिशोध और दूसरे से जलन रखना बंद करो यह आपकी आदत दूसरे को बाद में नुक़सान पहुँचायेगी आपको पहले नुक़सान करेगी जैसे नदी अपने आस पास के कई किलोमीटर के वाटर लेबल को मैटेन करती है और शांति से सबके कल्याण के लिए बहती रहती है इसी तरह आप भी शांत चित होकर जान कल्याण के लिए काम करते रहे भगवान आपके लिये सोचेगा
आप प्रधान हो विधायक हो एमपी हो अधिकारी हो कुछ हो तो समझ लो आपकी निंदा होगी क्योंकि आप इस लायक़ बन गये हो कि आपकी निंदा हो रही है निंदा कामयाब आदमी की होती है कमजोर की नहीं कमजोर जो बेचारा है इसलिए संतोष करके अपनी निंदा सुन ले निंदा करने वाले पर घात ना करे उसका नुक़सान ना करे वह तो अपना नुक़सान खुद कर रहा है अपने जीवन का क़ीमती समय निकाल कर अपना काम छोड़कर अपनी ऊर्जा आपकी निंदा में लगा रहा है आपकी अच्छाई की नहीं आपकी बुराई उजागर कर रहा है जिससे आपको अपने अन्दर सुधार आए बलवान वह है जो अपनी ताक़त अपनी ऊर्जा अपने विकास में लगाये दूसरे का नुक़सान करने वाला सिर्फ़ प्रतिसोधी उसका तो जीवन ही अंधकार में है
साभार-बसन्त चौथरी