राजकीय कन्या इण्टर कालेज संत कबीर नगर की व्यायाम शिक्षिका सोनिया ने बताया कि शिशु के लिए सिर्फ मां का दूध सर्वोत्तम होता है । इसके सेवन से शिशु स्वस्थ रहता है, तथा बुद्धि का विकास तीव्र होता है ।नवजात शिशु के लिए मां का गाढ़ा पीला दूध जिसे हम कोलस्ट्राम कहते हैं बहुत उपयोगी होता है कोलस्ट्रम अत्यंत पौष्टिक होता है ।इसमें प्रोटीन व एंटी बॉडी ज भरपूर मात्रा में होता है जो शिशु को संक्रमण से बचाता है । शिशु को जल्दी से जल्दी स्तनपान कराना मातातथा शिशु दोनों के लिए उत्तम है जो स्तनपान के साथ-साथ दोनों के बीच आपस प्रेम भी बनाता हैं शिशु को 6 महीने की अवस्था और 2 वर्ष अथवा उससे अधिक समय तक स्तनपान कराने के साथ उसे पौष्टिक आहार भी देना चाहिए। स्तन में दूध पैदा होना एक नैसर्गिक प्रक्रिया है। जब तक शिशु दूध पीता है तब तक ही स्तन में दूध पैदा होता है तथा बच्चे के दूध छोड़ने के पश्चात कुछ समय बाद अपने आप ही दूध बनना बंद हो जाता है ।स्तनपान शिशु को सभी पौष्टिक तत्वों की पर्याप्त तथा उचित मात्रा उपलब्ध कराता है। स्तनपान अतिसार, तथा स्वास संबंधी अनेक संक्रमण से शिशु की रक्षा करता है । यदि जन्म के समय पहले पहले घंटे से ही स्तनपान शिशु को दिया जाए तो 22 प्रतिशत नवजात शिशु की मौत को रोका जा सकता है। यूनिसेफ का मानना है कि छह माह तक शिशु को केवल स्तनपान ही कराया जाय (Exclusive milk up to six months) माता के दूध में पानी की काफी मात्रा होती है तथा उसी से उसकी आवश्यकताएं पूरी हो जाती हैं। शिशु के लिए मां का दूध सर्वोत्तम है इसलिए 6 माह तक शिशु को सिर्फ माता के दूध पर ही रखना चाहिए। अन्य कोई भी पदार्थ नहीं देना चाहिए। ईश्वर ने भी शिशु के पैदा होते ही उसके आहार के रूप में माता के दूध का प्रबंध किया है। शिशु अत्यंत नाजुक व कोमल होता है। माता के दूध में सभी पौष्टिक तत्व इस मात्रा तथा अनुपात में होते हैं जिन्हें शिशु का पाचन तंत्र आसानी से पाचन कर सकता है माता के दूध से वृद्धि तथा विकास भी ठीक प्रकार से होता है क्यों कि यह पूर्ण आहार है। स्तनपान कराने से मां को भी स्वस्थ संबंधी अनेक फायदे होते हैं। स्तनपान कराने वाली महिलाओं में मोटापा भी कम होता है ।स्तनपान कराने से छाती तथा अंडा श्यी कैंसर से भी संरक्षण प्रदान होता है। स्तनपान कराने से बहुत से लाभ हैं। इसलिए मां के प्यार की तरह मां के दूध का भी कोई विकल्प नहीं है ।मां के दूध में उपस्थित पौष्टिक तत्व 1.प्रोटीन- माता के दूध में 1.1प्रतिशत प्रोटीन उपस्थित होती है ।प्रोटीन में सभी आवश्यक अमीनो अम्ल उपस्थित होते हैं ।जो कि शिशु की वृद्धि तेजी से करते हैं । शिशु इस प्रोटीन को आसानी से पचा लेता है। 2.कार्बोहाइड्रेट- मां के दूध में कार्बोहाइड्रेट की सबसे अधिक मात्रा पाई जाती है।जो कि 7 ग्राम प्रतिशत है इससे शिशु को उर्जा प्राप्त होती है इसी कारण माता का दूध स्वाद में मीठा होता है। 3.वसा - मा के दूध में 3.9 प्रतिशत वसा उपस्थित रहती है। मां के दूध में उपस्थित वसा को शिशु आसानी से पचा लेता है तथा उसका पोषण भी शीघ्र हो जाता है । शिशु का पाचन तंत्र इस प्रकार का होता है कि वह अधिक वसा का पाचन नहीं कर सकता इसके साथ-साथ माता के दूध की वसा में सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं जो कि शिशु की वृद्धि के लिए आवश्यक होते हैं ।4. खनिज लवण केल्सियम तथा फास्फोरस -माता के दूध में कैल्शियम तथा फास्फोरस की मात्रा कम होती है परंतु इस पूर्णरुप से शोषण हो जाता है ।4. लौह माता के दूध में लौह की कमी पाई जाती हैं। परंतु 6 महीने की आयु के लिए आवश्यक लौह की मात्रा उसके यकृत में गर्भ नाल में ही संचित हो जाती हैं।5. विटामिंस- माता के दूध में विटामिन ए,बी, तथा सी शिशु के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक मात्रा में उपस्थित रहता है ।विटामिन सी की मात्रा शिशु को संक्रमण से बचाता है। माता के दूध में विटामिन डी की कमी होती है। अत, सभी शिशुओं को विशेष रुप से छह महीने की आयु तक स्तनपान कराना चाहिए । और 6 महीने के बाद पर्याप्त मात्रा में पूरक आहार के साथ साथ 2 वर्ष का होने तक अथवा उससे भी अधिक समय तक स्तनपान जारी रखना चाहिए।