सूत्रों के अनुसार
मास्टर रोल भर दिया जाता है। एक ही फोटो को ४ कार्यों में लगाने की बात भी सामने आई।
पंचायत में नियुक्त तकनीकी सहायक बिना स्थल पर गए ही ऑफिस में बैठकर माप बुक (एम बी) तैयार करता है जिसे सचिव और वीडियो कार्यालय से होकर सीधे भुगतान तक पहुंचा दिया जाता है। यह साफ दर्शाता है कि कागजों में ही योजनाओं को पूरा कर सरकारी धन की बंदर बाट हो रही है।
इन गड़बड़ियों को देखते हुए अब शासन ने सख्त रूख अपनाया है।
प्रदेश सरकार ने मनरेगा कार्यो में फर्जी फोटो और हाज़िरी के मामलों पर रोक लगाने के लिए निगरानी प्रणाली को और कठोर बनाया है। अब जिले की 400 से अधिक ऐसी परियोजनाओं की रोजाना जांच की जाएगी जिसमें 40 से अधिक मजदूर लगे हैं।
ग्राम विकास विभाग द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी ने एनएमएमएस पोर्टल पर अपलोड हो रही मजदूरों की फोटो नाम, समय, और मास्टर रोल की सटीकता का मिलान कर रिपोर्ट तैयार करेंगे यह रिपोर्ट निगरानी रजिस्टर में दर्ज की जाएगी और हर पखवाड़े मुख्य विकास अधिकारी (सी डी ओ) द्वारा इसका सत्यापन किया जाएगा ।
सरकारी सूत्रों के अनुसार कई ग्राम पंचायत में मई जून जैसी भीषण गर्मी के महीना में भी मजदूरों की ठंड के कपड़े पहने तस्वीरें अपलोड की जा रही है। जो फर्जीवाड़े का स्पष्ट संकेत है।
संयुक्त विकास आयुक्त भूपेंद्र कुमार सिंह द्वारा सभी जिलों के सीडीओ और जिला एपीओ को निर्देशित किया गया है कि यदि किसी भी निगरानी रजिस्टर में गड़बड़ी पाई जाती है तो संबंधित ग्राम पंचायत और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।