वार्ता, जल्यजीवों की सुरक्षा के लिए सख्त निर्देश*
*मा० मत्स्य मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद जी ने जनपद बस्ती में की पत्रकार वार्ता, जल्यजीवों की सुरक्षा के लिए सख्त निर्देश*
*डॉ संजय कुमार निषाद:- बुद्ध की धरती से ही योग का मूल संदेश निकला है।*
उत्तर प्रदेश सरकार के मा० मत्स्य मंत्री एवं निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार निषाद जी आज अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत जनपद सिद्धार्थनगर और गोंडा के भ्रमण के पश्चात बस्ती होते हुए जनपद महाराजगंज की ओर प्रस्थान कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने जनपद बस्ती के एक निजी होटल में पत्रकारों से वार्ता की।
*योग दिवस के अवसर पर* मा० मत्स्य मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद जी ने कहा कि सिद्धार्थनगर और बस्ती मंडल भगवान बुद्ध की पावन धरती है, और योग की शुरुआत भी भगवान बुद्ध से ही मानी जाती है। उन्होंने कहा कि मैं आज भगवान बुद्ध की धरती पर योग करने आया था। सिद्धार्थनगर और बस्ती मंडल भगवान बुद्ध की तपोभूमि है। यही वह धरती है, जहां से योग का वास्तविक संदेश पूरी दुनिया में फैला। मा० मंत्री जी ने कहा कि भगवान बुद्ध का जीवन ध्यान, अनुशासन और आत्म-संयम का प्रतीक है, और यही योग का मूल है। योग केवल व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन को संतुलित, सकारात्मक और स्वस्थ बनाने का भारतीय तरीका है। मा० मंत्री जी ने आह्वान किया कि बस्ती मंडल की इस ऐतिहासिक और आध्यात्मिक विरासत को अपनाते हुए हर व्यक्ति योग को अपने जीवन में शामिल करे और इसे दुनिया तक पहुँचाने का संकल्प ले। योग केवल व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन को अनुशासित और सकारात्मक बनाने की भारतीय जीवन पद्धति है।
*पत्रकारों द्वारा बस्ती जनपद में कुआनो नदी में मछलियों एवं जल्यजीवों की मृत्यु के मामले में पूछे गए सवाल पर* मा० मंत्री जी ने गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जल्यजीवों को किसी भी प्रकार की क्षति या नुकसान किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। *मा० मंत्री जी ने जनपद के मत्स्य अधिकारी व पर्यावरण अधिकारी से तत्काल बातचीत कर निर्देशित किया कि अगर किसी भी फैक्ट्री या इकाई द्वारा बिना जल शोधन (Water Treatment) के दूषित जल नदी में छोड़ा जा रहा है तो उसकी तत्काल जांच करवाई जाए और नियमानुसार कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।*
*डॉ. संजय कुमार निषाद जी ने स्पष्ट आदेश दिया कि मत्स्य विभाग और पर्यावरण विभाग की संयुक्त टीम गठित कर शीघ्र जांच करे और दोषियों को चिन्हित कर आवश्यक विधिक कार्रवाई सुनिश्चित करे ताकि जल्यजीवों की रक्षा की जा सके।*