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*कर्मचारियों, व्यापारियों, समाजसेवियों द्वारा स्वैच्छिक सहयोग देने व कर्मचारियों का भत्ता रोकने के बाद भी आम जनता की दशा दयनीय*
बस्ती
गैर प्रांतों से प्रवासी मजदूरों की घर वापसी हेतु सरकार की
बस व ट्रेन महज दिखावटी निजी वाहनपास यहां तक कि सेवा कार्य की अनुमति सिर्फ सत्ता के चिन्हित लोगों के लिए है ये बाते आज समाज सेवी चन्द्रमणि पाण्डेय ने मोरंग गिट्टी लदे ट्रकों पर बैठकर चिलचिलाती धूप में सैकड़ों की संख्या में आने वाले मजदूरों से बातचीत के उपरांत कहा उन्होंने कहा कि आम इंसान के वतन वापसी हेतु सरकार द्वारा संचालित बस व ट्रेनें महज सत्ता से जुडे बडे व चिन्हित लोगों के लिए हैं मजदूरों ने तो यहां तक कहा कि टिकट लेने के बाद भी बसों व ट्रेनों में बैठाने हेतु हजार दो हजार सुविधा शुल्क लिया जा रहा है श्री पाण्डेय ने कहा कि एक तरफ निजी वाहन पास नहीं बनाये जा रहे हैं बन भी रहे हैं तो चालक सहित महज तीन लोगों के लिए दूसरे तरफ हाईवे पर हर दस से पन्द्रह सेकण्ड में सैकड़ों मजदूरों को लादे हुए ट्रक निकल रहे हैं ऐसे में
हर किसी के मन में सवाल खडा होता है कि क्या लाकडाउन का नियम सिर्फ नियम मानने वालों के लिए है क्या बस ट्रेन व हवाई जहाज सिर्फ पैसे वालों के लिए है यदि हां तो कर्मचारियों व्यापारियों समाजसेवियों द्वारा देय सहयोग राशि का क्या प्रयोग हो रहा है एक तरफ माननीयों का वेतन भत्ता बढाया जा रहा है दूसरे तरफ कर्मचारियों के भत्ते रोके जा रहे हैं सेवा कार्य के लिए भी लोगों को अनुमति नहीं मिल रहा है जबकि सत्ताधारी लोग शोषल डिस्टेंस का अनुपालन किये बिना ही बस्ती टोल के पास जलपान कराते हुए दिख रहे हैं जिले की सीमा में कटरा से कप्तानगंज तक वर्तमान परिस्थिति में बंद चाय की दुकानों के मध्येनजर गर्मी को देखते हुए यात्रियों हेतु उचित जल प्रबंध तक नहीं किया गया है उन्होंने कहा कि प्रसासन में बैठे लोग इन समस्याओं पर ध्यान देते हुए तत्काल एक समान व्यवस्था स्थापित करायें व सेवा कार्य हेतु सबको छूट दें सत्ता में बैठे लोग संकट के इस दौर में राजनीति न करें।