आबकारी नियमों का उल्लंघन: सुबह 6 बजे ही खुल जा रही दुकानें,
बस्ती 18, जून 2025: बस्ती जिले के कलवारी थाना क्षेत्र में आने वाले शराब ठेके आबकारी नियमों को पूरा उल्लंघन करते दिखाई दिए। कलवारी पड़री रोड और कुसौरा पॉवर हाउस रोड के पास स्थित देशी व अंग्रेजी शराब की दुकान पर सुबह - शाम ग्राहकों की काफी भीड़ होती है। यहां आबकारी नियमों के साथ साथ खाद्य सुरक्षा नियमों का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है।
दुकानों के सामने ठेके से निकलने वाले खाली बोतल, प्लास्टिक, टेट्रा-पैक कूड़ो का ढेर लगा रहता है। कई दिनों तक बिखरा कूड़ा कभी कभी उसी स्थान पर जला दिया जाता है, जिससे दुर्गंध और प्रदूषण बढ़ रहा है। कूड़ा करीब 500 मीटर तक फैला है लेकिन इस पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और आबकारी विभाग का कभी ध्यान नहीं गया।
ठेकों पर न ही शराब से होने वाली बीमारियों या नुकसान संबंधी चेतावनियां ही लिखी हैं और न शराब लेने आने वाले ग्राहकों से उनकी उम्र का ब्यौरा लिया जाता है। ठेका संचालक लोगों की जिंदगी से खेलते नज़र आते हैं। ठेके के आस पास बिकने वाले चखने की दुकानों पर हाइजीन (स्वच्छता) का भी ध्यान नहीं रखा जाता है। खाद्य पदार्थ गंदे तरीके से बेचे जाते जा रहे हैं।
यहां ग्राहकों को संतोषजनक व सम्मानजनक व्यवहार भी देखने को नहीं मिला। इन शराब ठेकों पर न ही ग्राहकों के लिए न ही बैठने की समुचित व्यवस्था है और न ही साफ सफाई।
पड़री कलवारी मार्ग पर स्थित कंपोजिट शॉप के विक्रेता ध्रुव कुमार यादव ने बताया कि विभाग और थाने की ओर से निर्देश है कि आप शराब बिक्री और पीने वाले लोगों को बोल दीजिए कि घर ले जाकर पीजिए, यहां मत पीजिए लेकिन कोई मानता नहीं।
ठेके के सामने फैली गंदगी और साफ सफाई के बारे में पूछे जाने पर शराब दुकानदारों ने अपना दोष चखने वालों पर मढ़ते हुए कहा कि वहीं सफाई का काम देखते हैं।
चखने की दुकान चलाने वाले राम वृक्ष सोनकर का कहना है कि साफ सफाई के लिए कोई नहीं आता हम लोग खुद ही करते हैं। ज्यादा हो जाने पर जला देते हैं।
कुसौरा पॉवर हाउस के पास स्थित ठेके पर आए शराब ग्राहकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें सुबह 6 बजे से ही शराब मिलनी शुरू हो जाती है बस 10 रुपए अधिक देना पड़ता है। इस बारे में जब अन्य लोगों से जानकारी ली गई तो उन्होंने कैमरे पर बोलने से मना कर दिया।
पड़री, शेखपुरा, कनैला, आदि तमाम गांवों को कलवारी से जोड़ने वाले मुख्य मार्ग पर खुली देशी शराब और अंग्रेजी शराब की दुकानों से गांव की महिलाओं को असुरक्षा पैदा हो गई है। शराब पीने के लिए आए लोगों का सड़कों पर ही जमावड़ा होने से रात के अंधेरे में महिलाएं उस रास्ते से निकलने में डरती हैं।